तीन दीवारें सफ़ेद
चूने से लिपीं
बस, एक नीली है
कभी-कभी मन करता है
इस गहरे नील को सफ़ेद में मिला,
कलफ़ दे, धूप में सूखा दूँ ।
बिछा दूँ दीवारों को ज़मीन पर
और उस कड़क सफ़ेद नींव पर
खड़े होकर या बैठकर लिखूँ वह गीत
जो श्वेत कपोतों को उड़ान
और जैतून के पेड़ को हरियाली देता हो ।
वक़्त आ गया है
मजबूत दीवारें बिछ जानी चाहिए ।