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तीस / ओम बधानी

तेरि माया कु तीसु छौं
तीसू रौंलु

हाथु क रेखड़ौं म होंदु भाग
त्वै पौंलु त सच माणि जौंलु

छमोटौं न भि तीस बुझदि नी
तेरि एक बुंदन धित्यै भि जौंलु

तु धोर छै सुनिंद छौ लाटु छौ मै
नि जाणि एक दिन स्याणि कौंेलु

सुपन्यौं म भि औणौ बग्त त्वैमा नी
मै अमणी कि रात,भि सारा रौंलु

सौं करारू कि टुटीं माळा
उमर भर मेटणु,गंठ्यौणु रौंलु

तेरू बदल्यूं रंग गेड़ हुयाीं छ
नि गणली जब तैं घंगतोळ म रौंलु

त्वैक धुंधकार उठाईं यै मन की
पुळेलु जब तैं पुळ्यौणु रौंलु