तुम्हारा प्यार
बुरे दिनों में आई
राहत की चिट्ठियाँ हैं
तुम्हारा प्यार
बसंत की गुनगुनी भोर में
किसी पेड़ की ओट से उठती
कोयल की बेतरह कूक है
तुम्हारा प्यार
लहलहाती गर्मी में
एक गुड़ की डली के साथ
एक ग्लास पानी है
तुम्हारा प्यार
बुरे दिनों में आई
राहत की चिट्ठियाँ हैं
तुम्हारा प्यार
बसंत की गुनगुनी भोर में
किसी पेड़ की ओट से उठती
कोयल की बेतरह कूक है
तुम्हारा प्यार
लहलहाती गर्मी में
एक गुड़ की डली के साथ
एक ग्लास पानी है