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तुम्हारे नाम / कमलकांत सक्सेना

तुम कहो, यह ज़िन्दगी ही,
मैं तुम्हारे नाम कर दूं
और सारे सुख जहाँ के,
मैं तुम्हारी गोद भर दूं

चांद तारे तोड़ लाऊँ मैं गगन से
सब बहारें छीन लाऊँ मैं चमन से
नाम मेरा प्यार से लेकर पुकारो
हर खुशी को बीन लाऊँ मैं अमन से

जो असंभव दीखता हो,
मैं उसे साकार कर दूं
तुम कहो, सूरज तपाकर,
मैं तुम्हारी मांग भर दूं

आज हारा हूँ तुम्हारे सामने मैं
सच उघारा हूँ तुम्हारे सामने मैं
बस तुम्हें ही चाहता हूँ बारहा मैं
याचकों-सा हूँ तुम्हारे सामने मैं

द्वार आकर सिर, तुम्हारे
सामने वर दान कर दूं
गीत में अपने कहो तो
मैं तुम्हारी प्रीति भर दूं