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तुम्हारे लिए / कर्मानंद आर्य

धरती जो महकती है लोबान की खुशबू से
वह घर जो कस्तूरी की गंध से भर आता है
वह कमरा जो महकता है
दुनिया के सबसे बेहतरीन इत्र से