Last modified on 12 जनवरी 2008, at 15:28

तुम / विचिस्लाव कुप्रियानफ़

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: विचिस्लाव कुप्रियानफ़  » संग्रह: समय की आत्मकथा
»  तुम



तुम जब गुज़रती हो पास से

तुम्हारे कन्धे पर होती है चिड़िया

या तितली

या फिर कोई सितारा

या बोझ


तुम्हारे इन ख़ूबसूरत कंधों को

छू सकता है अपनी हथेलियों से

सिर्फ़ तुम्हारा पति

या प्रेमी


बाक़ी दूसरे लोग

बस देख सकते हैं इन्हें

या सुन सकते हैं इनके बारे में

उन लोगों से

जो गुज़र चुके हैं कभी

तुम्हारे निकट से