सजल आँखों से जलाया
देहरी पर एक दीप...
मन का आँगन
लिया पहले ही था लीप...
बड़े स्नेह से बुला रहे हैं
ज़िन्दगी ! आओ न समीप...
हम भी तुम तक ही तो आ रहे हैं
चुनते हुए भावों के मोती सीप... !!
सजल आँखों से जलाया
देहरी पर एक दीप...
मन का आँगन
लिया पहले ही था लीप...
बड़े स्नेह से बुला रहे हैं
ज़िन्दगी ! आओ न समीप...
हम भी तुम तक ही तो आ रहे हैं
चुनते हुए भावों के मोती सीप... !!