तेरे देश से आई हवायें यादें तेरी लाई हैं
रातों की नीदें हुई गायब
तारे गिनकर कटती रैन
दिन में भी आराम नहीं है
कर जाती संझा बेचैन
विरह से तपते मेरे मन को हौले से सहलाई हैं
तेरे देश से आई हवायें यादें तेरी लाई हैं
कोयल की बोली में लगता
छुपे हुये हैं तेरे स्वर
कंठ से उसके कंठ मिला फिर
गाने लगते मेरे अधर
मुरझाये से मन बगिया में बन बहार ये छाई हैं
तेरे देश से आई हवायें यादें तेरी लाई हैं
प्रीत तुम्हारी धड़कन बनकर
साथ रहे हरदम पल पल
नदियों की लहरों में सरगम
रहती है जैसे कल कल
मरुथल में बदरी की रिमझिम साथ ये अपने लाई हैं
तेरे देश से आई हवायें यादें तेरी लाई हैं...