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दण्ड विधान / सुधीर सक्सेना




लकदक शो रूम से

धड़धड़ाते हुए निकले हैं ट्रैक्टर

और मेड़ पर दम तोड़ते नज़र आते हैं बैल ।


फ़ैक्टरी से निकलता है

चमचमाती कारों का काफ़िला

और इस तरह अकाल मौत

मारे जाते हैं घोड़े और साईस ।


परिदृश्य से लगातार

लुप्त हो रहे हैं बैल और घोड़े

कहीं भी नहीं उनकी मौत के आँकड़े

और न ही अपराध विज्ञानियों के

माथे पर एक भी शिकन ।


जुर्म है उनकी दिनचर्या में शुमार,

मगर उनके किसी जुर्म के लिए

दण्ड-विधान में दण्ड का नहीं प्रावधान ।