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अब सपने उपलब्ध नहीं हैं
स्वप्नदर्शियों को
न ही गीत गायकों को
कहीं-कहीं अन्धेरी रात
और ठण्डे लोहे का ही
शासन है
पर सपनों की वापसी होगी
और गीतों की भी
तोड़ दो
इनके क़ैदख़ानों को
मूल अंग्रेज़ी से अनुवाद : राम कृष्ण पाण्डेय
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अब सपने उपलब्ध नहीं हैं
स्वप्नदर्शियों को
न ही गीत गायकों को
कहीं-कहीं अन्धेरी रात
और ठण्डे लोहे का ही
शासन है
पर सपनों की वापसी होगी
और गीतों की भी
तोड़ दो
इनके क़ैदख़ानों को
मूल अंग्रेज़ी से अनुवाद : राम कृष्ण पाण्डेय