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दमन / लैंग्स्टन ह्यूज़

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»  दमन

अब सपने उपलब्ध नहीं हैं
स्वप्नदर्शियों को
न ही गीत गायकों को

कहीं-कहीं अन्धेरी रात
और ठण्डे लोहे का ही
शासन है
पर सपनों की वापसी होगी
और गीतों की भी

तोड़ दो
इनके क़ैदख़ानों को


मूल अंग्रेज़ी से अनुवाद : राम कृष्ण पाण्डेय