Last modified on 28 नवम्बर 2013, at 13:53

दरपण / कन्हैया लाल सेठिया

रै’सी चैरो सागी
फिर भलांई देखती
कता ही दरपण !
बणग्यो थारै
निळजै मन रो बैम
बापड़ी आंख्या रो
विसन !