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दरिया से तालाब हुआ हूँ / सतपाल 'ख़याल'

 
दरिया से तालाब हुआ हूँ
अब मैं बहना भूल गया हूँ.

तूफ़ाँ से कुछ दूर खड़ा हूँ
साहिल पर कुछ देर बचा हूँ

नज़्में ग़ज़लें सपने लेकर
बिकने मैं बाज़ार चला हूँ

हाथों से जो दी थी गाँठें
दाँतों से वो खोल रहा हूँ

यह कह - कह कर याद किया है
अब मैं तुझको भूल गया हूँ

याद ‘ख़याल’ आया वो बचपन
दूर जिसे मैं छोड़ आया हूँ.