रात
जामन डालकर
रखा दूध
धीरे
धीरे
जमता है
दिन
निकलता है
पहाड़ों से
उतरता है
मैदान में
भेड़ों का एक रेवड़
अरे ! इसकी परछाईं कहाँ है?
रात
जामन डालकर
रखा दूध
धीरे
धीरे
जमता है
दिन
निकलता है
पहाड़ों से
उतरता है
मैदान में
भेड़ों का एक रेवड़
अरे ! इसकी परछाईं कहाँ है?