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दुलहन धरती / अचल भारती

पिया बादल मारै छै ऊपर सें कनखी
हो घुंघ्ज्ञट सें झांकै छै दुलहन-धरती।
आमॅ के मंजर टिकोल भेलै
कालकॅ बतास जे जवान होलै
होली ऐलै कि थिरकलै कदम
ननद! भी गलै चुनर उलझै बक्ती

पिया बादल मारै छै ऊपर से कनखी
हो घूंघट से झांकै छै दुलहन-धरती।