हमारे दुश्मन अमूर्त हैं
उनके हमला करने की तकनीक
आधुनिक है
हमला होने के बाद हमें पता चलता है कि
हम उनकी हिंसा का शिकार हो गए हैं
वे हवाओं में मिल जाते हैं
पानी में घुल जाते हैं
अन्त तक हमें उनके होने का
पता नहीं चलता
वे छीन रहे है हमारी प्राण–वायु
हमें निहत्था और शक्तिहीन
बना रहे हैं
कविता में कही इस बात को
सोच कर देखिए – हम कितने
ख़तरे में पड़ गए हैं