सेहुँड़ जितना भी बढता है, अपनी
हर बाढ़ में, मूल से शीर्ष तक,
काँटे ही काँटे रखता है।
समय आने पर
सेहुँड में फूल भी आते हैं
ये फूल कई रंग के होते हैं
इस के पत्ते मोटे ही मिलते हैं
इन को मोडने पर टूट जाते हैं
और टूटने पर दूध जैसा पदार्थ
निकलता है।
सेहुँड़ दूधिया पदार्थ से निर्मित है।
अनेक रूपों में यह
मानव की सेवा करता है।