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दूलनदास / परिचय

दूलनदासजी का जन्म लखनऊ के पास समेसी ग्राम में हुआ। ये जाति के क्षत्रिय थे तथा गृहस्थ थे। ये जगजीवन साहब के पट्टशिष्य थे। इन्होंने 'धर्मो नाम का एक ग्राम भी बसाया। इनका सारा समय साधु-संगत, भजन-कीर्तन और उपदेश देने में व्यतीत होता था। इन्होंने साखी और पद लिखे हैं। भाषा में भोजपुरी का मिश्रण है। अन्य संतों की भाँति गुरुभक्ति, समस्त प्राणियों के प्रति प्रेम तथा निर्गुण निराकार परमात्मा की प्राप्ति यही इनके उपदेश हैं।