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दोहे-6 / मनोज भावुक

'भावुक' जो बाटे इहे, किस्मत के मंजूर।
भरल आम के बाग में, तहरा मिली धतूर॥21॥

मौत से आगे सोंच के, थाम्हीं जे पतवार।
हँसी-खुशी से जी सकी, उहे ए सरकार॥22॥

कबहूँ-कबहूँ गम इहाँ धरे खुशी के रूप।
एह से मुश्किल बा, कहल, छाया हs कि धूप॥23॥

फूल बनी, काँटा बनी, बात हिया में जात।
शब्द-शब्द पर सोच के, रखिहs आपन बात॥24॥

 'भावुक' जब तक ना चुभे, दिल में कवनो तीर।
कागज पर उतरे कहाँ ठीक-ठाक तस्वीर॥25॥

दुनिया से बा जे मिलल, हँसी-खुशी आ घात।
सौंप रहल बानी उहे, दोहा में सौगात॥26॥

बुढ़वा बरगद देख के, मन में आइल भाव।
माथ रहे आकाश में अउर जमीं में पाँव॥ 27॥

हियरा से हियरा मिलल, मिलल नैन से नैन।
ख्वाब भइल पूरा मगर, गइल आँख से रैन॥28॥

पढ़ के मत अइसे रखs जस बासी अखबार।
खत में दिल के बात बा, कुछ त सोचs यार॥29॥

जिनिगी एगो राग हs, खुल के गाईं गीत।
टूट जाय कब का पता, सांसन के संगीत॥30॥