समर्पण
मराठी के कामगार साहित्यिक अन्नाभाऊ साठे को
दो शब्द
पिछले कई वर्षों से बिखरी हुई इन रचनाओं को एकत्रित करने का उद्देश्य कि रिकार्ड रह सके। ये वर्ष और इनकी रचनाएँ साहित्य और कला के प्रति मेरा दृष्टिकोण निश्चित करने में सहायक सिद्ध हुए हैं। इसलिए भी व्यक्तिगत रूप से यह संग्रह मेरे लिए महत्त्वपूर्ण है।
ज़िन्दगी और जन-आन्दोलन की देन ये रचनाएँ पाठकों को बुरी तो नहीं लगेंगी, ऐसा मेरा विश्वास है ।
मई, 1955 शंकर शैलेन्द्र