स्वयंभू तथा पुष्पदंत की भाँति अपभ्रंश के कवियों में धनपाल का नाम आदर के साथ लिया जाता है। धनपाल धक्कड वंशी दिगम्बर जैन थे। इनकी भाषा बोलचाल की अपभ्रंश के अधिक निकट मानी जाती है। इनकी रचना 'भविष्यत्त कहा (भविष्यदत्त कथा) 22 संधियों का काव्य है। इसमें गजपुर के नगरसेठ धनपति के पुत्र भविष्यदत्त की लौकिक कथा है। कवि ने इसी कथानक के सहारे अपनी अद्वितीय काव्य-प्रतिभा का परिचय दिया है।