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धुन्धलका /राम शरण शर्मा 'मुंशी'

चोंच खोल कर
नीला पक्षी एक बड़ा-सा
अभी-अभी पी गया
कटोरा भर उजियाला।
अब डैने फैलाकर बैठा
उखड़े हुए दिवस की
लम्बी मुरझाई डाली के ऊपर,
तलछट नीचे बिखरी
सब कुछ काला-काला !