सूखे और ऊँचे पहाड़ों को
मटियाले रंगों की चमक दे जाती है
अपनी पहाड़ी से अलग
दूसरी पहाड़ी पर
सुरमई हो जाती है
उचटती नज़र डालो
तो धुआँ-धुआँ
बादलों की छाँव की तरह
दिखाई देती है
नंगी आँखों से देखो
तो लूट लेने या खा जाने को जी चाहे
ऐसी रौशन और चमकदार
बदन के पोर-पोर में
उतरने वाली धूप
कुछ कहना चाहती है!!!