Last modified on 12 अगस्त 2008, at 20:57

नई पहचान / स्नेहमयी चौधरी

जीवन के खेल में हारकर

उसने ताश के खेल में जीतना सीख लिया

अंदर से पूरी तरह टूटकर

उसने कागज़ पर चित्र रचना सीख लिया


एक केन्द्र पर हुई पराजय

दूसरे को पर विजय बन गई

अपनों से बिलगने की प्रक्रिया में

दूसरों से जुड़ना उसकी नई पहचान बन गई।