नए सिरे से
घिरे-घिरे से
हमने झेले
तानाशाही के वे हमले
आगे भी झेलें हम शायद
तानाशाही के वे हमले... नए सिरे से
घिरे-घिरे से
"बदल-बदल कर चखा करे तू दुख-दर्दों का स्वाद"
"शुद्ध स्वदेशी तानाशाही आए तुझको याद"
"फिर-फिर तुझको हुलसित रक्खे अपना ही उन्माद"
"तुझे गर्व है, बना रहे तू अपना ही अपवाद"
(रचनाकाल : 1977)