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नदी / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल

नदी
(हर्ष उल्लास चित्रण)
जिन पर रहते हिलते
उसके सुमधुर अधर।
शशि आलिंगित सांध्य जलद से
गिरि पर सुंदर।
वह तट पर उल्लास उछाल
छलक कर बहती।
पत्थर में वह फूल खिला
फेनिल हो हँसती।
( नदी कविता का अंश)