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नभ-जल-थल / हरिवंशराय बच्चन

अंबर क्या इसलिये बना था—

मानव अपनी बुद्धि प्रबल से
यान बना चढ़ जाए छल से,
फिर अपने कर उच्छृंखल से
नीचे बसे शांत मानव के ऊपर भारी वज्र गिराए।


सागर क्या इसलिये बना था—
पोत बनाकर भारी भारी,
करके बेड़ों की तैयारी,
लेकर सैनिक अत्याचारी,
तट पर बसे शांत मानव के नगरों के ऊपर चढ़ धाए।

पृथ्वी क्या इसलिए बनी थी—
विश्व विजय की प्यास जगाए,
सेनाओं की बाढ़ उठाए,
हरा शस्य उपजाना तजकर
संगीनों की फसल उगाए,
शांतियुक्त श्रम-निरत-निरंतर मानव के दल को डरपाए।