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नमक / मंजूषा मन

दाल में
चुटकी भर
नमक की घट बढ़
पल में पहचान लेते हो
तुम!!!

फिर क्यों जीवन तक
साथ रहकर भी
नहीं देख पाते
तुम
मेरे आंसुओं का
नमक।