इस दफा घर को नज़र से यूँ बचाया जाएगा
दीवारे-रोशन पे थोड़ा कालिख लगाया जाएगा
सहन खुला है हवा जोरों की आती है शपा
थोड़ी घुटन के लिए दीवार उठाया जाएगा
खर्च बहुत बढ़ गए हैं आज बच्चों के
इस दफा माँ को ही घर से निकाला जाएगा
बढ़ती ही जाती है बेइंतिहा आबादी यहाँ
फिर किसी झोपड़ी पे बम गिराया जाएगा
अपने हक़ के लिए पैमाइशें ज़रूरी हैं
थोड़े मंदिर थोड़े मस्जिद में बांटा जाएगा
मदरसे नाकाफी हैं इल्म-औ-जहानत के लिए
जुनूनी मजहबी कोई गुट बनाया जाएगा
शिफखानों में यहाँ जल्लाद बैठा करते हैं
शहर में नया मुर्दाघर बनाया जाएगा
आजकल घर में अपने शोर बहुत होता है
घर, पड़ोसी के सुकूँ तलाशा जाएगा
हाँ! अपने मुल्क में कमी है रोजगारों की
दुश्मने-मुल्क का हुकुम बजाया जाएगा
मिठास बहुत बढ़ चली है मोहब्बतों में अब
तल्खियाँ शर्बतों में घोल पिलाया जाएगा
निजाम वतन का गाँधी से अब संभलता नहीं
फिर कोई सद्दाम और हिटलर बुलाया जाएगा