नया साल के लेली, काँटा चुनते रहलाँ सालो भर
ऐतोॅ हमरोॅ समय सुहानोॅ, सुनतें रहलाँ सालो भर
मतर साल पर साल गुजरलोॅ, एैलोॅ वैहनोॅ साल कहाँ
सतरंगी सपना में, रुइया धुनतें रहलाँ सालो भर
कूड़ा-करकट के ढेरी पर, साल गुजरलोॅ आय तलुक
दिन के आसोॅ में, आँटा के गुनतें रहलाँ सालो भर
डरलोॅ छी लोगोॅ सें, कातिल सें चीखोॅ चितकारोॅ सें
जानी-पहचानी के, आँखी मुनतें रहलाँ सालो भर
हुनकोॅ मोॅन मिनार कुहासोॅ, शितलहरी धामिन नाखी
रौदा रोॅ असरा में, माथा धुनतें रहलाँ सालोॅ भर
मतर बहुत भै गेलै, बवन्डर भेलोॅ छै धूरा-धूरा
सूरज उगबे करतै, बीया बुनतें रहलाँ सालो भर