Last modified on 15 मार्च 2017, at 14:15

नरक-यात्रा / विनोद शर्मा

एक हजार योनियों को अपने
शरीर पर धारण करने वाले इन्द्र
दृष्टि से सन्तान उत्पन्न करने वाले व्यास
तथा शिश्न से सोचने और
योनि से देखते वाले फ्रॉयड
की अवैध सन्तानों की धमनियों में
रक्त नहीं, वीर्य बहता है।

अजन्ता एलोरा के भित्तिचित्रों और
खजुराहो की नग्न प्रतिमाओं की
दुहाई देने वाली इस पीढ़ी ने
गर्भ में ही जान लिया था
गर्भनिरोधक गोलियों और निरोध के
प्रयोग की नई विधियों
और कामसूत्र के चौरासी आसनों को

इस भूखी नंगी अभिशप्त पीढ़ी का बचपन
सम्भोगरत श्वान-युगल को देखने में बीता है
और जवानी
कैबरे नर्तकी की पिंडलियों, उरोजों
और कूल्हों से चिपकी हुई है
मैं जानता हूं कि इस पीढ़ी का बुढ़ापा
घूरे पर पड़े हुए नवजात मांस के लोथड़े से
लेकर सिफलिस अथवा गनोरिया
के जोहड़ में मवाद की दलदल में
दफन अस्थिपंजर तक
एक लम्बी भयानक यात्रा तय करेगा-

यह और बात है कि दुर्भाग्यवश
नपुंसकता अथवा षड़त्व के मील के
पत्थर के नजदीक पहुंच कर
इन्सानी चेहरों को ढोने वाले
इन शिश्नों और योनियों का काफिला
रुक सकता है।