पिता का घर छोड़
ससुराल में आती लड़की
वह पाठक होती है
जो किताब के भीतरी
तथ्यों से
अपरिचित होती है
जैसे-जैसे किताब को
पढ़ती है
परिवार को समझ जाती है
जब किताब पूरी पढ़ लेती है
तो जान लेती है
कि यह तो वही है
मायके के बगल वाली
खन्ना साहब के
परिवार की -
कहानी
लेकिन एक
अच्छी नवविवाहिता
ठान ले तो
परिवार को
संवार देती है
अपने कर्म से
अपने धर्म से
और अपनी सेवा से
जिसे लड़की भली-भांति
जानती है
कित्ती अच्छी
बहू आई है !
सुन कर दुल्हन
शरमा गई !