Last modified on 28 जुलाई 2010, at 08:49

नहीं / भारत भूषण अग्रवाल

क्या मेरे भाव
तुम्हें ऐसे घेर सकते हैं
जैसे मेरी बाहें ?
क्या मेरे शब्द
तुम्हें ऐसे छू सकते हैं
जैसे मेरे ओठ ?
क्या यह निर्जीव लेखनी
वैसा गीत लिख सकती है
जैसा मैं एक दिन
तुम्हारे तन पर रचूँगा ?

रचनाकाल : 10 फ़रवरी 1966