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इतने कोहरे के बाद
एक के बाद एक
भासते हैं तारे
मैं साँस लेता हूँ
शीतल हवा में
जो देती है
आकाश का रंग
जानता हूँ
एक भंगुर बिम्ब हूँ मैं
अमर वृत्त में घिरा ।
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इतने कोहरे के बाद
एक के बाद एक
भासते हैं तारे
मैं साँस लेता हूँ
शीतल हवा में
जो देती है
आकाश का रंग
जानता हूँ
एक भंगुर बिम्ब हूँ मैं
अमर वृत्त में घिरा ।