Last modified on 7 सितम्बर 2009, at 11:37

निष्कर्ष / रमेश कौशिक

रेखा यश की हो या
अपयश की
एक विशेष दूरी पर
समान हो जाती हैं

दो विरोधी दिशाओं में
छूटे
हुए तीर
एक ही बिन्दु पर
पहुँच जाते हैं

जो यह जानते हैं
वे सींग वाले उल्लुओं को
जेबों में पालते हैं
और जो ऊँट को जानते हुए
उसके गिलबिलाने से
अपरिचित हैं
जो बाजी हारते हैं