उचटी हुई नींद के बाद
जब लगती है आंख
अटकी रहती हो तुम
भीतर-बाहर
जैसे नींद में
वैसे ही जागते हुए।
नहीं चलता मेरा कोई बस
मैं जान ही नहीं पाया-
कब उचटी नींद
कब लगी आंख!
उचटी हुई नींद के बाद
जब लगती है आंख
अटकी रहती हो तुम
भीतर-बाहर
जैसे नींद में
वैसे ही जागते हुए।
नहीं चलता मेरा कोई बस
मैं जान ही नहीं पाया-
कब उचटी नींद
कब लगी आंख!