नींव की कोई ज़मीन नहीं होती
जहाँ से काम शुरू किया जाता है
उसे नींव का नाम दिया जाता है
नींव की वह पहली ईंट
सफलता का शिखर बनाती है
मजबूती का अहसास करवाती है
सशक्त विचारों से प्रारंभ होती है
फिर कर्म से एक नया इतिहास बनाती है
नींव की कोई ज़मीन नहीं होती