भीग गया वर्षा में रीछ,
आई तभी छींक-पर-छींक।
हुआ तेज सरदर्द, जुकाम,
खूब मली तब उसने ‘बाम’।
किया दोक्टर ने जब चेक,
नेक इलाज बताया एक-
‘मिट जाए सारा जंजाल,
कटवा लो यदि अपने बाल’।
[रचना: 22 जून 1998]
भीग गया वर्षा में रीछ,
आई तभी छींक-पर-छींक।
हुआ तेज सरदर्द, जुकाम,
खूब मली तब उसने ‘बाम’।
किया दोक्टर ने जब चेक,
नेक इलाज बताया एक-
‘मिट जाए सारा जंजाल,
कटवा लो यदि अपने बाल’।
[रचना: 22 जून 1998]