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नौ : ... / धूमिल

अन्त में हमने तय किया अपनी टांगें

अब शरीक नहीं करेंगे हम अपनी

दिनचर्या में अपने बिस्तर की

सेहत के लिए


प्रार्थना करेंगे

चमड़े की जिल्द मे बंधी हुई अपनी मुहब्बत

का मज़ा

रोज़मर्रा के ख़र्च में जमा करते हुए ।