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पंचभूत / कन्हैया लाल सेठिया

चेतणा रो खोळियो
पंचभूत
जे खूट ज्यावै
आं में स्यूं कोई एक तत
चली जावै चेतणा फेर
आप रै करमां सारू दूजै खौळियै में
पण हुजावै जकी चेतणा रा
करम खय
बा कोनी धारण करै
फेर कोई खोळिया !
हुज्यावै आप रै स्वभाव मैं
थिर !