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पड़ियाइन ममा / भारत यायावर

मेरे घर भी

आती हैं पड़ियाइन ममा

लाती हैं ख़बरें

गाँव भर का नगद-उधार

उनके आँचल की गाँठ में

बंधा होता है

वो मेरे गाँव का

अख़बार हैं


घर-घर के बच्चे

उनसे करते हैं हँसी ठट्ठा

बच्चे पड़ियाइन ममा को

चिढ़ाते हैं

पर पड़ियाइन ममा

कभी बुरा नहीं मानतीं

कितने प्रेम से भरी हैं

पड़ियाइन ममा !


हर घर से ऎसा रिश्ता

किसी का भी नहीं

जैसा है पड़ियाइन ममा का


गाँव की हर घर की साथी हैं वो

लोगों की

मुसीबतों में रहती हैं साथ


पड़ियाइन ममा

गाँव का अख़बार ही नहीं

एक पुल हैं

जिससे हर आदमी

जाता है

एक-दूसरे के घर

होता है

एक-दूसरे के दुखों में शरीक


तमाम गँवई रूढ़ियों से ग्रस्त भी

पड़ियाइन ममा

मुझे बहुत प्यारी हैं

उनसे अलग

गाँव की आत्मा

मैं कहाँ तलाश सकता हूँ