आज नहीं तो कल
आएगा तो सही
पतझड़
जानता है पेड़
कांपता है तन
कहां है आंख
बहाए आंसू
थक कर सूजे ।
अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"
आज नहीं तो कल
आएगा तो सही
पतझड़
जानता है पेड़
कांपता है तन
कहां है आंख
बहाए आंसू
थक कर सूजे ।
अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"