एक-एक कर
टूटते गए
जवानी के सपने
कटते गए
धीरे-धीरे
रिश्तेदार
हितैषी
मित्र सैर-सपाटे
थियेटर
बन गए
मुंगेरी लाल के हसीन सपने
ताकती रही रात-रात भर
आशंकाओं से ग्रस्त हृदय लिए
दरवाजे की ओर
मिली प्यार –मनुहार की जगह
चिड़चिड़ी फटकार
जी हाँ,
पति था पत्रकार