हरी दाल पर हँसते पत्ते
मन हरियाला करते पत्ते
छाव बिछाकर, पंखा झलकर
मन हर इक का हरते पत्ते
मधुर फलों की बातें गुपचुप
इक-दूजे से करते पत्ते
चूम उन्हें जब धूप उठाती
तब मुस्काकर जगते पत्ते
दूर उड़ाऊँ कहती आँधी
शीश हिलाकर हँसते पत्ते
पास ज़रा जब आती बकरी
सिहर-सिहर कर डरते पत्ते
इक-दूजे के सुख-दुख शामिल
होकर रंग बदलते पत्ते
रंग-बिरंगे 'सुमन' खिलाने
मिल-जुल कोशिश करते पत्ते