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परभाती / कन्हैया लाल सेठिया

दिन उगियो रूंखड़लां बैठ्या
पंछी जैजैकार करै,
रात बसेरो लियो बटाऊ
उठ मजलां मनवार करै,

गोट धुंअै रा उठै घरां में
टाबर धूम मचावै है,
गांव गिंवाळ उछेरयो चोपो
बछिया भाज्या आवै है,

आखी जीवा-जूण जागगी
उछळ कूद किलकार करै,
दिन उगियो रूंखड़लां बैठ्या
पंछी जै जै कार करै,

सूतो कांई सुगन मिलावै
धरती सदा सुहागण है,
च्यारूं कूंटा नोपत बाजै
आ तो नित बड़भागण है,

एक पांवड़ो भरतां थारो
आरतड़ो गिगनार करै,
रात बसेरो लियो बटाऊ
उठ मजलां मनवार करै,

काया थारी मोम सरीखी
हिवड़ो ठोस बजर रो है,
तूं थारै आपै नै ओळख
तूं सगळां स्यूं जबरो है,

समदंर कांई चीज, हिंयाळो
लुळ लुळ लाख जुहार करै,
रात बसेरो लियो बटाऊ
उठ मजलां मनवार करै,

सुण देसड़लो हेला मारै
म्हारो लूण लजाई मत
जीत सेहरो बिना बंधायां
म्हारी कांकड़ आई मत,
ऊभ अड़ीकै मां टीकण नै
धण साळै सिणगार करै,
रात बसेरो लियो बटाऊ
उठ मजलां मनवार करै।