हम भूमि-सुता
धरणी के धिया
परिचय हमर देत के?
पसरल दसों दिशा में
दिग्-दिगन्त हम्मर आँगन
हमही छी सातों इन्द्रिय मेँ
जीवनक सार हमर प्रांगण
हम भूमि-सुता
राजा रामक सिया
अग्नि-परीक्षा हमर लेत के?
ने बान्हि सकल पर्यन्त एखन
प्रकृतिक क्रोध आ करुणा केँ
सुरजक ऊष्मा वा शीतल चंद्र
साँझक बसात वा अरुणा केँ
हम भूमि-सुता
संसारक पोर-पोर के जिया
बंटने छी अपन देह के।
छी हम नारी, अर्धांगिनी हम
इजोत हमही आ अन्हारक तम
हमही छी कामना, उपासना हम
सनातन सत्य आ हमही भ्रम
हम भूमि-सुता
सृजन हमर मौलिक क्रिया
दृग-बिंदु धारा नेह केँ।
शीतल बसात कि झंझावात
मायक लोरी कि शंखनाद
पूसक राति आ सावनक मेघ
तूरक फाहा वा हो इस्पात
हम भूमि-सुता
तुलसीचौरा के जरैत दिया
मंगलकामना अशेष के।
आबय दिय बनि मुक्तकक हास
जीबय दिय, नइ बनाउ लहास
जँ हम नइ रहब तँ बनत सदति
मानवता-मानव कालक ग्रास
हम भूमि-सुता
चेतन मन आ उन्मुक्त हिया
परिचय हमर विदेह के।
हम भूमि-सुता
धरणी के धिया
परिचय हमर देत के?