अगर मैं किसी और की विवाहिता होती
तब भी
तुम्हारा स्पर्श
मेरी बन्द आँखें पहचान जातीं
पर
साथ रहते-रहते
अब तो
पहचान का एहसास भी घिस गया है।
अगर मैं किसी और की विवाहिता होती
तब भी
तुम्हारा स्पर्श
मेरी बन्द आँखें पहचान जातीं
पर
साथ रहते-रहते
अब तो
पहचान का एहसास भी घिस गया है।