पानी दे
पानी दे, गुड़-धानी दे।
ठहरे हुए नदी-पोखर को
फिर से नई रवानी दे।
पानी दे, पानी दे।
सब्रोक़रार बाँध जीवन के,
नमक-मिर्च-प्याजों के बल,
टिके हुए बस दो रोटी पर
खा-पीकर मोटे चावल;
मुँह बाए ये प्रश्न खड़े हैं
उत्तर तू लासानी दे।
पानी दे
गुड़-धानी दे।
इन बाँधों से उन बाँधों तक,
पूरा एक महाभारत वे;
लड़े जा रहे भूखे-टूटे,
कुछ स्वारथा कुछ परस्वारथ से।
राह बता लँगड़े-लूलों को
गूँगों को तू बानी दे।
पानी दे, पानी दे,
गुड़-धानी दे।