Last modified on 21 मार्च 2015, at 14:09

पावन मिथिला धाम / चन्द्रमणि

कल्पित सपना साँच कराबय
भुतिआयल छी बाट देखाबय
क्षितिज छोड़ल दिनमान
हमर ई पावन मिथिलाधाम।
लछमी माइक परम उपेक्षित
जनिकर कुल परिवार
एहि धरतीमे पओलनि
से सब, वाणी केर सत्कार
देवक रूप तरेगण चमकै
जै धरतीकेर कण-कण गमकै
हरित-भरित परिधान।। हमर ई...
हम स्नेही जग कहय अकिंचन
किंचित तकर ने क्लेष
छथि भागिन रणधीर लवकुश
कार्तिक आर गणेश
प्रीतिक गीत गबै अछि भमरा
सगुन विचार विहगसँ जतरा
पूजित चौठक चान।। हमर ई....
माइक मुरूत बनाबी जतनसँ
शोणित अपन सुखाय
कतबहु नजरि लगाओत डइनिज्जा
ई कथमपि ने ढहाय
कारण छथि दौहित्र गदाधर
अंजनि-सुत केर एतय समादर
शक्तिक प्रबल प्रमाण।। हमर ई....