Last modified on 14 जुलाई 2023, at 23:21

पिंजड़े / पल्लवी विनोद

आँख तेज होने का दावा करते लोग
नहीं देख पाए हँसते चेहरों में मौजूद नम आँखें

साँप से तेज कान वाले नहीं सुन पाए
ठीक बगल में सोई औरत की सिसकी

पूरे गाँव-जवार में अन्नपूर्णा कहा गया जिनको
उनके अपने घर की औरतें भूखे पेट सोती रहीं

दूसरों के दुःख देख उमड़ती रही जिनकी आँखों से गंगा
अक्सर उन्हीं ने अपनों के आँसुओं पर कसी फब्तियाँ

दुनिया ऐसी ही है दोस्तों,
ये रोशन से दिखने वाले चिरागों के तले हमेशा
अँधेरे ही रहते हैं
पंक्षियों की मौत पर बिलखने वालों के घर ही
अक्सर पिंजड़ों से भरे रहते हैं।