चट्टान की तरह
दिखते थे
मेरे पिता...
उस चट्टान की
किसी परत में
नम सोता भी था
जो उनके शरीर से
पसीने के रूप में
बहा करता था
और
आज मेरी आँखों से
रिसता है...।
चट्टान की तरह
दिखते थे
मेरे पिता...
उस चट्टान की
किसी परत में
नम सोता भी था
जो उनके शरीर से
पसीने के रूप में
बहा करता था
और
आज मेरी आँखों से
रिसता है...।